Changes

चरन कमल बंदौ हरिराई / सूरदास

1 byte removed, 09:48, 22 अक्टूबर 2009
कवि: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=सूरदास]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:सूरदासपद]] 
<poem>
चरन कमल बंदौ हरिराई ।
 
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघे,अंधे को सब कछु दरसाई ॥१॥
 
बहरो सुने मूक पुनि बोले,रंक चले सिर छत्र धराई ।
 
‘सूरदास’ स्वामी करुणामय, बारबार बंदौ तिहिं पाई ॥२॥
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits