भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नया आदमी / अशोक चक्रधर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) (New page: रचनाकार: अशोक चक्रधर Category:कविताएँ Category:अशोक चक्रधर ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~* ड...) |
|||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=अशोक चक्रधर | |
− | + | }} | |
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | ||
डॉक्टर बोला-<br> | डॉक्टर बोला-<br> | ||
दूसरों की तरह<br> | दूसरों की तरह<br> | ||
पंक्ति 11: | पंक्ति 10: | ||
वे बोले-<br> | वे बोले-<br> | ||
− | मैं | + | मैं तो दूसरों से भी<br> |
अच्छी तरह जीता हूँ,<br> | अच्छी तरह जीता हूँ,<br> | ||
सिर्फ़ एक पैग पीता हूँ।<br> | सिर्फ़ एक पैग पीता हूँ।<br> |
09:37, 28 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
डॉक्टर बोला-
दूसरों की तरह
क्यों नहीं जीते हो,
इतनी क्यों पीते हो?
वे बोले-
मैं तो दूसरों से भी
अच्छी तरह जीता हूँ,
सिर्फ़ एक पैग पीता हूँ।
एक पैग लेते ही
मैं नया आदमी
हो जाता हूँ,
फिर बाकी सारी बोतल
उस नए आदमी को ही
पिलाता हूँ।