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खिल-खिल खिल-खिल हो रही, श्री यमुना के कूल<br>
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अलि अवगुंठन खिल गए, कली बन गईं फूल<br>
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खिल-खिल खिल-खिल हो रही, श्री यमुना के कूल
कली बन गईं फूल, हास्य की अद्भुत माया<br>
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अलि अवगुंठन खिल गए, कली बन गईं फूल
रंजोग़म हो ध्वस्त, मस्त हो जाती काया<br>
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कली बन गईं फूल, हास्य की अद्भुत माया
संगृहीत कवि मीत, मंच पर जब-जब गाएँ<br>
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रंजोग़म हो ध्वस्त, मस्त हो जाती काया
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संगृहीत कवि मीत, मंच पर जब-जब गाएँ
 
हाथ मिलाने स्वयं दूर-दर्शन जी आएँ
 
हाथ मिलाने स्वयं दूर-दर्शन जी आएँ
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09:38, 29 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

खिल-खिल खिल-खिल हो रही, श्री यमुना के कूल
अलि अवगुंठन खिल गए, कली बन गईं फूल
कली बन गईं फूल, हास्य की अद्भुत माया
रंजोग़म हो ध्वस्त, मस्त हो जाती काया
संगृहीत कवि मीत, मंच पर जब-जब गाएँ
हाथ मिलाने स्वयं दूर-दर्शन जी आएँ