भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हास्याष्टक / काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=काका हाथरसी |संग्रह=काका के प्रहसन / काका हाथरसी }} ‘का...)
 
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=काका के प्रहसन / काका हाथरसी
 
|संग्रह=काका के प्रहसन / काका हाथरसी
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 
+
<poem>
 
+
‘काका’ से कहने लगे, शिवानंद आचार्य
‘काका’ से कहने लगे, शिवानंद आचार्य<br>
+
रोना-धोना पाप है, हास्य पुण्य का कार्य
रोना-धोना पाप है, हास्य पुण्य का कार्य<br>
+
हास्य पुण्य का कार्य, उदासी दूर भगाओ
हास्य पुण्य का कार्य, उदासी दूर भगाओ<br>
+
रोग-शोक हों दूर, हास्यरस पियो-पिलाओ
रोग-शोक हों दूर, हास्यरस पियो-पिलाओ<br>
+
क्षणभंगुर मानव जीवन, मस्ती से काटो
क्षणभंगुर मानव जीवन, मस्ती से काटो<br>
+
मनहूसों से बचो, हास्य का हलवा चाटो
मनहूसों से बचो, हास्य का हलवा चाटो<br>
+
आमंत्रित हैं, सब बूढ़े-बच्चे, नर-नारी
आमंत्रित हैं, सब बूढ़े-बच्चे, नर-नारी<br>
+
 
‘काका की चौपाल’ प्रतीक्षा करे तुम्हारी
 
‘काका की चौपाल’ प्रतीक्षा करे तुम्हारी
 +
</poem>

02:02, 30 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

‘काका’ से कहने लगे, शिवानंद आचार्य
रोना-धोना पाप है, हास्य पुण्य का कार्य
हास्य पुण्य का कार्य, उदासी दूर भगाओ
रोग-शोक हों दूर, हास्यरस पियो-पिलाओ
क्षणभंगुर मानव जीवन, मस्ती से काटो
मनहूसों से बचो, हास्य का हलवा चाटो
आमंत्रित हैं, सब बूढ़े-बच्चे, नर-नारी
‘काका की चौपाल’ प्रतीक्षा करे तुम्हारी