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जन - गण - मन के देवता , अब तो आँखें खोल | जन - गण - मन के देवता , अब तो आँखें खोल | ||
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महँगाई से हो गया , जीवन डाँवाडोल | महँगाई से हो गया , जीवन डाँवाडोल | ||
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जीवन डाँवाडोल , ख़बर लो शीघ्र कृपालू | जीवन डाँवाडोल , ख़बर लो शीघ्र कृपालू | ||
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कलाकंद के भाव बिक रहे बैंगन - आलू | कलाकंद के भाव बिक रहे बैंगन - आलू | ||
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कहँ ‘ काका ' कवि , दूध - दही को तरसे बच्चे | कहँ ‘ काका ' कवि , दूध - दही को तरसे बच्चे | ||
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आठ रुपये के किलो टमाटर , वह भी कच्चे | आठ रुपये के किलो टमाटर , वह भी कच्चे | ||
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राशन की दुकान पर , देख भयंकर भीर | राशन की दुकान पर , देख भयंकर भीर | ||
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‘ क्यू ’ में धक्का मारकर , पहुँच गये बलवीर | ‘ क्यू ’ में धक्का मारकर , पहुँच गये बलवीर | ||
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पहुँच गये बलवीर , ले लिया नंबर पहिला | पहुँच गये बलवीर , ले लिया नंबर पहिला | ||
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खड़े रह गये निर्बल , बू ढ़े , बच्चे , महिला | खड़े रह गये निर्बल , बू ढ़े , बच्चे , महिला | ||
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कहँ ‘ काका ' कवि , करके बंद धरम का काँटा | कहँ ‘ काका ' कवि , करके बंद धरम का काँटा | ||
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लाला बोले - भागो , खत्म हो गया आटा | लाला बोले - भागो , खत्म हो गया आटा | ||
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02:04, 30 अक्टूबर 2009 का अवतरण
जन - गण - मन के देवता , अब तो आँखें खोल
महँगाई से हो गया , जीवन डाँवाडोल
जीवन डाँवाडोल , ख़बर लो शीघ्र कृपालू
कलाकंद के भाव बिक रहे बैंगन - आलू
कहँ ‘ काका ' कवि , दूध - दही को तरसे बच्चे
आठ रुपये के किलो टमाटर , वह भी कच्चे
राशन की दुकान पर , देख भयंकर भीर
‘ क्यू ’ में धक्का मारकर , पहुँच गये बलवीर
पहुँच गये बलवीर , ले लिया नंबर पहिला
खड़े रह गये निर्बल , बू ढ़े , बच्चे , महिला
कहँ ‘ काका ' कवि , करके बंद धरम का काँटा
लाला बोले - भागो , खत्म हो गया आटा