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शब्द / अचल वाजपेयी

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|संग्रह=शत्रु-शिविर तथा अन्य कविताएँ / अचल वाजपेयी
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{{KKCatKavita}}<poem>
हर शब्द
 
कहीं न कहीं
 
कुछ बोलता है
 
वह कभी आग
 
कभी काला धुआँ
 
कभी धुएँ का
 अहसास होत होता है 
आओ, इस शब्द को
 जलती आग-सा जियेंजिएँ</poem>
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