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यह दीप अकेला / अज्ञेय

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[[Category:कविताएँ]]
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यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता पर
इसको भी पंक्ति को दे दो
यह दीप अकेला स्नेह भरा <br>जन है गर्व भरा मदमाता पर <br>: गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गायेगा पनडुब्बा : ये मोती सच्चे फिर कौन कृति लायेगा? यह समिधा : ऐसी आग हठीला बिरला सुलगायेगा इसको भी पंक्ति को दे दो <br><br>यह अद्वितीय : यह मेरा : यह मैं स्वयं विसर्जित :
यह जन दीप अकेला स्नेह भरा है : गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गायेगा <br>पनडुब्बा : ये मोती सच्चे फिर कौन कृति लायेगा? <br>यह समिधा : ऐसी आग हठीला बिरला सुलगायेगा <br>गर्व भरा मदमाता पर यह अद्वितीय : यह मेरा : यह मैं स्वयं विसर्जित : <br><br>इस को भी पंक्ति दे दो
यह दीप अकेला स्नेह भरा <br>मधु है गर्व भरा मदमाता पर <br>: स्वयं काल की मौना का युगसंचय यह गोरसः जीवन-कामधेनु का अमृत-पूत पय यह अंकुर : फोड़ धरा को रवि को तकता निर्भय यह प्रकृत, स्वयम्भू, ब्रह्म, अयुतः इस को भी पंक्ति शक्ति को दे दो <br><br>
यह मधु दीप अकेला स्नेह भरा है : स्वयं काल की मौना का युगसंचय <br>यह गोरसः जीवन-कामधेनु का अमृत-पूत पय <br>यह अंकुर : फोड़ धरा को रवि को तकता निर्भय <br>यह प्रकृत, स्वयम्भू, ब्रह्म, अयुतः <br>गर्व भरा मदमाता पर इस को भी शक्ति को पंक्ति दे दो <br><br>
यह दीप अकेला स्नेह भरा <br>वह विश्वास, नहीं जो अपनी लघुता में भी काँपा, है गर्व भरा मदमाता पर <br>वह पीड़ा, जिसकी गहराई को स्वयं उसी ने नापा, कुत्सा, अपमान, अवज्ञा के धुँधुआते कड़वे तम में यह सदा-द्रवित, चिर-जागरूक, अनुरक्त-नेत्र, उल्लम्ब-बाहु, यह चिर-अखंड अपनापा जिज्ञासु, प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय इस को भी पंक्ति भक्ति को दे दो <br><br>
यह वह विश्वास, नहीं जो अपनी लघुता में भी काँपा, <br>वह पीड़ा, जिसकी गहराई को स्वयं उसी ने नापा, <br>कुत्सा, अपमान, अवज्ञा के धुँधुआते कड़वे तम में <br>यह सदा-द्रवित, चिर-जागरूक, अनुरक्त-नेत्र, <br>उल्लम्ब-बाहु, यह चिर-अखंड अपनापा <br>जिज्ञासु, प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय <br>इस को भक्ति को दे दो <br><br> यह दीप अकेला स्नेह भरा <br> है गर्व भरा मदमाता पर <br> इस को भी पंक्ति दे दो <br><br/poem>
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