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आँख ने देखा पर वाणी ने बखाना नहीं।
 
आँख ने देखा पर वाणी ने बखाना नहीं।
भवना ने छुआ पर मन ने पहचाना नहीं।
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भावना ने छुआ पर मन ने पहचाना नहीं।
राह मैनें बहुत दिन देखी, तुम उस पर से आये भी, गये भी,
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राह मैनें बहुत दिन देखी, तुम उस पर से आए भी, गए भी,
 
--कदाचित, कई बार--
 
--कदाचित, कई बार--
 
पर हुआ घर आना नहीं।
 
पर हुआ घर आना नहीं।

22:13, 3 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

आँख ने देखा पर वाणी ने बखाना नहीं।
भावना ने छुआ पर मन ने पहचाना नहीं।
राह मैनें बहुत दिन देखी, तुम उस पर से आए भी, गए भी,
--कदाचित, कई बार--
पर हुआ घर आना नहीं।

डार्टिंगटन हाल, टौटनेस
१८ अगस्त १९५५