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बाज़ार में / अनिल पाण्डेय

14 bytes added, 16:05, 4 नवम्बर 2009
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बिक रहा था सब कुछ
 
'कुछ' के साथ 'कुछ'
 
मिल रहा था उपहार में
 
आलू प्याज टमाटर की तरह
 
भाव, विचार, रीति, सुनीति
 
सबके लगे थे भाव
 
फुटकर नहीं थोक में
 
लोग ख़रीद रहे थे
 
सबके साथ सब
 
कुछ के साथ सब
 
एक के साथ सब
 
कुछ को मिल रहा था
 
कुछ व्यवहार में
 
मैं खोज रहा था शिष्टाचार
 
किसी ने चेताया
 
''यह नहीं नीति संसार
 
तुम खड़े हो बाज़ार में ।
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