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ख़त / अभिज्ञात

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=अभिज्ञात}}{{KKCatKavita}}<poem>
बहुत दिनों बाद एक भूले हुए एक दोस्त का ख़त मिला
मैं अरसे तक उसे जेब में लिए घूमता रहा
और पता नहीं क्यों नहीं मिल सका मेरे दोस्त को
मेरे चाहने के बावजूद।
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