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अभी तो दरमियाँ फ़ासलो के जंगल है
 
अभी तो दरमियाँ फ़ासलो के जंगल है

22:51, 4 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

अभी तो दरमियाँ फ़ासलो के जंगल है
अभी आगाज़ से पहले भी कई मुश्किल है

अपनी हर हाल में मर जाने की तमन्ना है
मिले ये चैन कि अपना-सा कोई क़ातिल है

एक हम हैं कि कभी वास्ता नही रखते
कि अपने सामने मायूस अपनी मंज़िल है