भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|रचनाकार=अभिज्ञात
}}
{{KKCatKavita}}<poem>बातों बातों में जो ढली होगी
वो रात कितनी मनचली होगी
है तेरा ज़िक्र तो यकीं है मुझे
मेरे बारें में बात भी होगी
</poem>