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"सूर्य-ग्रहण : 3 / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर
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धीरे-धीरे गिरेगा प्रकाश | धीरे-धीरे गिरेगा प्रकाश | ||
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और अन्त में रह जाएगी एक काली पुतली | और अन्त में रह जाएगी एक काली पुतली | ||
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रोशनी के वर्क़ में लिपटी, | रोशनी के वर्क़ में लिपटी, | ||
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कभी बस हीरे के नग-सा दमकता सूर्य | कभी बस हीरे के नग-सा दमकता सूर्य | ||
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कभी मोतियों की माला-सा झिलमिल | कभी मोतियों की माला-सा झिलमिल | ||
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कभी गरी की एक फाँक-भर उज्ज्वल | कभी गरी की एक फाँक-भर उज्ज्वल | ||
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और एक क्षण को धरती पर बिछेगी | और एक क्षण को धरती पर बिछेगी | ||
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प्रकाश और अँधेरे से बुनी चटाई | प्रकाश और अँधेरे से बुनी चटाई | ||
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बहुत सुन्दर, बहुत भव्य है ब्रह्मांड का यह दृश्य | बहुत सुन्दर, बहुत भव्य है ब्रह्मांड का यह दृश्य | ||
+ | जो लूट सके सो लूट । | ||
− | + | ऎसी सुन्दरता कौन काम की | |
+ | जिसके देखे दीदा फूटे ? | ||
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12:56, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
बहुत सुन्दर लगेगा सूर्य
धीरे-धीरे गिरेगा प्रकाश
और अन्त में रह जाएगी एक काली पुतली
रोशनी के वर्क़ में लिपटी,
कभी बस हीरे के नग-सा दमकता सूर्य
कभी मोतियों की माला-सा झिलमिल
कभी गरी की एक फाँक-भर उज्ज्वल
और एक क्षण को धरती पर बिछेगी
प्रकाश और अँधेरे से बुनी चटाई
बहुत सुन्दर, बहुत भव्य है ब्रह्मांड का यह दृश्य
जो लूट सके सो लूट ।
ऎसी सुन्दरता कौन काम की
जिसके देखे दीदा फूटे ?