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"शोक / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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इस अंचल की एक इंच भूमि भी  
 
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ऎसी नहीं कि जहाँ होकर गुज़री न हो
 
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यह नदी
 
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पर क्रोध नहीं शोक है मुझे कि
 
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बार बार जो बदलती रही रास्ता
 
बार बार जो बदलती रही रास्ता
 
 
बार बार जो पोंछती रही अपने ही छाप
 
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जो एक पल कभी बैठी नहीं थिर
 
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पा न सकी वो रास्त अब तक
 
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जिसे ढूँढती फिरी सारी धरती उकटेर ।
 
जिसे ढूँढती फिरी सारी धरती उकटेर ।
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13:22, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

इस अंचल की एक इंच भूमि भी
ऎसी नहीं कि जहाँ होकर गुज़री न हो
यह नदी

पर क्रोध नहीं शोक है मुझे कि

बार बार जो बदलती रही रास्ता
बार बार जो पोंछती रही अपने ही छाप
जो एक पल कभी बैठी नहीं थिर
पा न सकी वो रास्त अब तक
जिसे ढूँढती फिरी सारी धरती उकटेर ।