"रामायण में महाभारत / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
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रविवार की सुबह | रविवार की सुबह | ||
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उस औरत ने | उस औरत ने | ||
बड़ी मुश्किल से | बड़ी मुश्किल से | ||
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पति और बच्चों को जगाया | पति और बच्चों को जगाया | ||
− | + | किसी को ब्रश | |
किसी को बनियान | किसी को बनियान | ||
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किसी को तौलिया थमाया | किसी को तौलिया थमाया | ||
चूल्हे के सामने खड़ी | चूल्हे के सामने खड़ी | ||
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जैसे चौखटे में जड़ी | जैसे चौखटे में जड़ी | ||
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बड़े के लिए लिए परांठे | बड़े के लिए लिए परांठे | ||
− | + | छोटों को ऑमलेट | |
− | छोटों को ऑमलेट | + | |
’उनके’ लिए कम नमक वाला | ’उनके’ लिए कम नमक वाला | ||
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सासु के लिए नरम | सासु के लिए नरम | ||
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ससुर के लिए गरम | ससुर के लिए गरम | ||
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अलग अलग अलग | अलग अलग अलग | ||
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नाश्ते बना रही है | नाश्ते बना रही है | ||
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और उसकी सासु माँ | और उसकी सासु माँ | ||
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चौपाईयाँ गा रही है | चौपाईयाँ गा रही है | ||
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टी-वी. पर | टी-वी. पर | ||
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रामायण आ रही है | रामायण आ रही है | ||
उसके कॉमरेड पति | उसके कॉमरेड पति | ||
अहिल्या के मुक्ति प्रसंग पर | अहिल्या के मुक्ति प्रसंग पर | ||
− | |||
भाव विह्वल होते हुए | भाव विह्वल होते हुए | ||
− | |||
बलिहारी जा रहे हैं | बलिहारी जा रहे हैं | ||
और छोटे को आवाज़ लगाकर | और छोटे को आवाज़ लगाकर | ||
− | |||
अपना नाश्ता | अपना नाश्ता | ||
− | + | टी. वी. वाले कमरे में मंगवा रहे हैं | |
− | टी. वी. वाले कमरे | + | |
− | + | ||
− | में मंगवा रहे हैं | + | |
एकाएक | एकाएक | ||
− | |||
वह औरत | वह औरत | ||
− | |||
रसोई की खिड़की से | रसोई की खिड़की से | ||
− | |||
लल्लन को देखती है | लल्लन को देखती है | ||
− | |||
चिल्लाकर कोसती है | चिल्लाकर कोसती है | ||
− | |||
और पलक झपकते | और पलक झपकते | ||
− | |||
करघी लहराहते हुए | करघी लहराहते हुए | ||
+ | उसे जा दबोचचती है। | ||
− | |||
हड़बड़ा कर उठते हुए | हड़बड़ा कर उठते हुए | ||
− | |||
पिताजी को लगता है | पिताजी को लगता है | ||
− | |||
कि वे सभी | कि वे सभी | ||
− | |||
रामायण देखते हुए | रामायण देखते हुए | ||
− | |||
सो रहे थे | सो रहे थे | ||
22:19, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
रविवार की सुबह
उस औरत ने
बड़ी मुश्किल से
पति और बच्चों को जगाया
किसी को ब्रश
किसी को बनियान
किसी को तौलिया थमाया
चूल्हे के सामने खड़ी
जैसे चौखटे में जड़ी
बड़े के लिए लिए परांठे
छोटों को ऑमलेट
’उनके’ लिए कम नमक वाला
सासु के लिए नरम
ससुर के लिए गरम
अलग अलग अलग
नाश्ते बना रही है
और उसकी सासु माँ
चौपाईयाँ गा रही है
टी-वी. पर
रामायण आ रही है
उसके कॉमरेड पति
अहिल्या के मुक्ति प्रसंग पर
भाव विह्वल होते हुए
बलिहारी जा रहे हैं
और छोटे को आवाज़ लगाकर
अपना नाश्ता
टी. वी. वाले कमरे में मंगवा रहे हैं
एकाएक
वह औरत
रसोई की खिड़की से
लल्लन को देखती है
चिल्लाकर कोसती है
और पलक झपकते
करघी लहराहते हुए
उसे जा दबोचचती है।
हड़बड़ा कर उठते हुए
पिताजी को लगता है
कि वे सभी
रामायण देखते हुए
सो रहे थे
संभवतः
महाभारत के बीज बो रहे थे