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"जीवन का झरना / आरसी प्रसाद सिंह" के अवतरणों में अंतर

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'''रचनाकार : आरसी प्रसाद सिंह'''
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जीवन क्या है निर्झर है
 
जीवन क्या है निर्झर है
 
 
मस्ती ही इसका पानी है  
 
मस्ती ही इसका पानी है  
 
 
सुख दुख के दोनों तीरों से  
 
सुख दुख के दोनों तीरों से  
 
 
चल रहा राह मनमानी है
 
चल रहा राह मनमानी है
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00:59, 7 नवम्बर 2009 का अवतरण

जीवन क्या है निर्झर है
मस्ती ही इसका पानी है
सुख दुख के दोनों तीरों से
चल रहा राह मनमानी है