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"[[क्या करूंगी मैं / आकांक्षा पारे]]" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))
शाम बुहारने लगी जब दालान
मैंने चुपके से समेट लिया
गुनगुनी धूम धूप का वो टुकड़ा
क़ैद है आज भी वो
मखमली डिबिया में
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