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अब सबके अहाते में अपने हैं राम / अविनाश
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09:32, 8 नवम्बर 2009
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बजाते हैं नौकरी उठाते हैं जाम
जो कहते कमाया है मैंने बहुत नाम
वो भी...जो बचपन के हमउम्र हमराज़
बेरोज़गारी में काटे हैं सब शाम
कि
मुन्न
मुन्ना
तू अब तो बड़ा आदमी है
कहीं भी लगा दो दिला दो कोई काम
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