भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
अब पीया नहीं जाता पानी
मुझे रुलाई आती है
मुझे ज़ोर की प्यास सताती है!