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"कोई नहीं सुनता / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
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कोई नहीं सुनता पुकार-- | कोई नहीं सुनता पुकार-- | ||
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सुनती है कान खड़े कर | सुनती है कान खड़े कर | ||
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सीढियों पर चौकन्नी खड़ी बिल्ली, | सीढियों पर चौकन्नी खड़ी बिल्ली, | ||
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जिसे ठीक से पता नहीं कि | जिसे ठीक से पता नहीं कि | ||
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डर कर भाग जाना चाहिए या | डर कर भाग जाना चाहिए या | ||
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ठिठककर एकटक उस ओर देखना चाहिए। | ठिठककर एकटक उस ओर देखना चाहिए। | ||
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कोई नहीं सुनता चीख़-- | कोई नहीं सुनता चीख़-- | ||
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सुनती है खिड़की के बाहर | सुनती है खिड़की के बाहर | ||
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हरियाये पेड़ पर अचानक आ गई नीली चिड़िया, | हरियाये पेड़ पर अचानक आ गई नीली चिड़िया, | ||
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जिसे पता नहीं कि यह चीख़ है | जिसे पता नहीं कि यह चीख़ है | ||
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या कि आवाज़ों के तुमुल में से एक और आवाज़। | या कि आवाज़ों के तुमुल में से एक और आवाज़। | ||
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कोई नहीं सुनता प्रार्थना-- | कोई नहीं सुनता प्रार्थना-- | ||
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सुनती है अपने पालने में लेटी दुधमुंही बच्ची, | सुनती है अपने पालने में लेटी दुधमुंही बच्ची, | ||
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जो आदिम अंधेरे से निकलकर उजाले में आने पर | जो आदिम अंधेरे से निकलकर उजाले में आने पर | ||
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इतनी भौंचक है | इतनी भौंचक है | ||
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कि उसके लिए अभी आवाज़ | कि उसके लिए अभी आवाज़ | ||
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होने, न होने के बीच का सुनसान है। | होने, न होने के बीच का सुनसान है। | ||
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18:05, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
कोई नहीं सुनता पुकार--
सुनती है कान खड़े कर
सीढियों पर चौकन्नी खड़ी बिल्ली,
जिसे ठीक से पता नहीं कि
डर कर भाग जाना चाहिए या
ठिठककर एकटक उस ओर देखना चाहिए।
कोई नहीं सुनता चीख़--
सुनती है खिड़की के बाहर
हरियाये पेड़ पर अचानक आ गई नीली चिड़िया,
जिसे पता नहीं कि यह चीख़ है
या कि आवाज़ों के तुमुल में से एक और आवाज़।
कोई नहीं सुनता प्रार्थना--
सुनती है अपने पालने में लेटी दुधमुंही बच्ची,
जो आदिम अंधेरे से निकलकर उजाले में आने पर
इतनी भौंचक है
कि उसके लिए अभी आवाज़
होने, न होने के बीच का सुनसान है।