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"कला-दर्शन / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर
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18:53, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
एक
सरोज के लिए योग्य वर खोजना आसान नहीं था
ब्राह्मणत्व की आग से भयंकर थी कविता की आग
अन्त में कवि अमर हो जाता है एक पिता रोता पीटता
मर खप जाता है
दो