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भले दिनों की बात थी / फ़राज़

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|संग्रह=
}}
[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatKavita}}<poem>भले दिनों की बात थीभली सी एक शक्ल थीना ये कि हुस्ने ताम होना देखने में आम सी
'''भले दिनों की बात थी'''<br><br>भले दिनों की बात थी<br>भली सी एक शक्ल थी<br>ना ये कि हुस्ने ताम वो चले तो कहकशां सी रहगुजर लगेमगर वो साथ हो<br>ना देखने में आम सी<br><br>तो फिर भला भला सफ़र लगे
ना ये कि कोई भी रुत हो उसकी छबफ़जा का रंग रूप थीवो चले तो कहकशां सी रहगुजर लगे<br>गर्मियों की छांव थीमगर वो साथ हो तो फिर भला भला सफ़र लगे<br><br>सर्दियों की धूप थी
कोई भी रुत ना मुद्दतों जुदा रहेना साथ सुबहो शाम हो उसकी छब<br>फ़जा का रंग रूप थी<br>ना रिश्ता-ए-वफ़ा पे ज़िदवो गर्मियों की छांव थी<br>वो सर्दियों की धूप थी<br><br>ना ये कि इज्ने आम हो
ना मुद्दतों जुदा रहे<br>ऐसी खुश लिबासियांना साथ सुबहो शाम हो<br>कि सादगी हया करेना रिश्ता-ए-वफ़ा पे ज़िद<br>इतनी बेतकल्लुफ़ीना ये कि इज्ने आम हो<br><br>की आईना हया करे
ना ऐसी खुश लिबासियां<br>इखतिलात में वो रमकि सादगी हया करे<br>बदमजा हो ख्वाहिशेंना इतनी बेतकल्लुफ़ी<br>इस कदर सुपुर्दगी की आईना हया कि ज़िच करे<br><br>नवाजिशें
ना इखतिलात में वो रम<br>आशिकी ज़ुनून कीकि बदमजा ज़िन्दगी अजाब हो ख्वाहिशें<br>ना इस कदर सुपुर्दगी <br>कठोरपनकि ज़िच करे नवाजिशें<br><br>दोस्ती खराब हो
ना आशिकी ज़ुनून की<br>कभी तो बात भी खफ़ीकि ज़िन्दगी अजाब हो<br>कभी सुकूत भी सुखनना इस कदर कठोरपन<br>कभी तो किश्ते ज़ाफ़रांकि दोस्ती खराब हो<br><br>कभी उदासियों का बन
कभी तो बात भी खफ़ी<br>सुना है एक उम्र है कभी सुकूत मुआमलाते दिल की भी सुखन<br>कभी विसाले-जाँफ़िजा तो किश्ते ज़ाफ़रां<br>क्याकभी उदासियों का बन<br><br>फ़िराके-जाँ-गुसल की भी
सुना है सो एक उम्र है <br>रोज क्या हुआमुआमलाते दिल की भी<br>वफ़ा पे बहस छिड़ गईविसाले-जाँफ़िजा तो क्या<br>मैं इश्क को अमर कहूं फ़िराके-जाँ-गुसल की भी<br><br>वो मेरी ज़िद से चिढ़ गई
सो एक रोज क्या हुआ<br>वफ़ा पे बहस छिड़ गई<br>मैं इश्क का असीर थावो इश्क को कफ़स कहेकि उम्र भर के साथ को अमर कहूं <br>वो मेरी ज़िद से चिढ़ गई<br><br>बदतर अज़ हवस कहे
मैं इश्क का असीर था<br>शजर हजर नहीं कि हम वो इश्क को कफ़स कहे<br>हमेशा पा ब गिल रहेंना ढोर हैं कि उम्र भर के साथ को<br>रस्सियांवो बदतर अज़ हवस कहे<br><br>गले में मुस्तकिल रहें
शजर हजर नहीं कि हम <br>मोहब्बतें की वुसअतेंहमेशा हमारे दस्तो पा ब गिल रहें<br>ना ढोर में हैं कि रस्सियां<br>गले बस एक दर से निस्बतेंसगाने-बावफ़ा में मुस्तकिल रहें<br><br>हैं
मोहब्बतें की वुसअतें<br>मैं कोई पेन्टिंग नहींहमारे दस्तो पा कि एक फ़्रेम में हैं<br>रहूंबस एक दर से निस्बतें<br>वही जो मन का मीत होसगाने-बावफ़ा उसी के प्रेम में हैं<br><br>रहूं
तुम्हारी सोच जो भी होमैं कोई पेन्टिंग उस मिजाज की नहीं<br>कि एक फ़्रेम में रहूं<br>मुझे वफ़ा से बैर हैवही जो मन का मीत हो<br>उसी के प्रेम में रहूं<br><br>ये बात आज की नहीं
तुम्हारी सोच जो भी हो<br>न उसको मुझपे मान थामैं उस मिजाज की नहीं<br>न मुझको उसपे ज़ोम हीमुझे वफ़ा से बैर है<br>जो अहद ही कोई ना होये बात आज की नहीं<br><br>तो क्या गमे शिकस्तगी
न उसको मुझपे मान था<br>सो अपना अपना रास्तान मुझको उसपे ज़ोम ही<br>हंसी खुशी बदल दियाजो अहद ही कोई ना हो<br>वो अपनी राह चल पड़ीतो क्या गमे शिकस्तगी<br><br>मैं अपनी राह चल दिया
सो अपना अपना रास्ता<br>भली सी एक शक्ल थीहंसी खुशी बदल दिया<br>भली सी उसकी दोस्तीवो अपनी राह चल पड़ी<br>अब उसकी याद रात दिनमैं अपनी राह चल दिया<br><br>नहीं, मगर कभी कभी
भली सी एक शक्ल थी<br>भली सी उसकी दोस्ती<br>अब उसकी रात दिन<br>नहीं, मगर कभी कभी<br><br> हुस्न ताम - पूरा शबाब, कहकशां - आकाशगंगा, इज्ने आम - सभी को इजाजत<br>हया - शर्म, इखतिलात - दोस्ती, रम - वहशत, खफ़ी - छिपी हुई, चुप्पी<br>किश्ते ज़ाफ़राँ - केसर की क्यारी, विसाले जाँफ़िजा - प्राणवर्धक मिलन,<br>फ़िराके जाँ गुसिल - प्राण घातक दूरी, असीर - कैदी, कफ़स - पिन्जरा, कैद खाना,<br>अज हवस - हवस से भी खराब, शजर - पेड, हजर - पत्थर, पा-ब-गिल - विवश<br>मुस्तकिल - लगातार, वुसअतें - लम्बाई, चौड़ाई, दस्तो-पा - हाथ, पैर, निस्बतें - संबन्ध<br>सगाने-बावफ़ा - वफ़ादार कुत्ते, ज़ोम - गुमान, अहद - वचन बद्धता, गमे शिकस्तगी - टूटने का गम<br/poem>
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