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रात में जिसे प्यार करता हूँ
 
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दिन में उससे ही घृणा करता हूँ
 
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अंधकार में ही खड़े रहें सब
 
अंधकार में ही खड़े रहें सब
 
 
स्थगित रहे सूर्य का प्रकाश
 
स्थगित रहे सूर्य का प्रकाश
 
 
जब तक मैं बचा हूँ
 
जब तक मैं बचा हूँ
 
 
जानता हूँ रचा गया है सूर्य
 
जानता हूँ रचा गया है सूर्य
 
 
जीवन के लिए
 
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अंधकार भी तो रचा गया है
 
अंधकार भी तो रचा गया है
 
 
प्रेम के लिए
 
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अंतत: मुझे अंधकार में
 
अंतत: मुझे अंधकार में
 
 
उसके साथ
 
उसके साथ
 
 
उसके प्रेम के लिए खड़ा रहना है ।
 
उसके प्रेम के लिए खड़ा रहना है ।
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11:21, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

रात में जिसे प्यार करता हूँ
दिन में उससे ही घृणा करता हूँ
अंधकार में ही खड़े रहें सब
स्थगित रहे सूर्य का प्रकाश
जब तक मैं बचा हूँ
जानता हूँ रचा गया है सूर्य
जीवन के लिए
अंधकार भी तो रचा गया है
प्रेम के लिए
अंतत: मुझे अंधकार में
उसके साथ
उसके प्रेम के लिए खड़ा रहना है ।