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"ख़याल कीजिये क्या काम आज मैं ने किया / इब्ने इंशा" के अवतरणों में अंतर

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हवस ये रह गई साहिब ने पर कभी न कहा,  
 
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19:10, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

ख़याल कीजिये क्या काम आज मैं ने किया|
जब उन्ने दी मुझे गाली सलाम मैं ने किया|

कहा ये सब्र ने दिल से के लो ख़ुदाहाफ़ीज़,
के हक़-ए-बंदगी अपना तमाम मैं ने किया|

झिड़क के कहने लगे लब चले बहुत अब तुम,
कभी जो भूल के उनसे कलाम मैं ने किया|

हवस ये रह गई साहिब ने पर कभी न कहा,
के आज से तुझे "इंशा" ग़ुलाम मैंने किया|