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रेल की पटरी / इब्बार रब्बी

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|संग्रह=वर्षा में भीगकर / इब्बार रब्बी
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रेल की पटरी हो सुनसान
मुँह भर पुकारे
नहीं सुनेगी तू।
 
'''रचनाकाल : 1967
 
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