भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आज / आभा बोधिसत्त्व" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आभा बोधिसत्त्व |संग्रह= }} आज महिला दिवस पर मन में बहुत ...) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
आज महिला दिवस पर | आज महिला दिवस पर | ||
− | |||
मन में बहुत कुछ चल रहा है, | मन में बहुत कुछ चल रहा है, | ||
− | |||
क्या लिखूँ क्या न लिखूँ के बीच | क्या लिखूँ क्या न लिखूँ के बीच | ||
− | |||
समय बीत रहा है, | समय बीत रहा है, | ||
− | |||
इसी बीतने में | इसी बीतने में | ||
− | |||
हर दिवस हर त्यॊहार की तरह | हर दिवस हर त्यॊहार की तरह | ||
− | |||
यह भी निकल न जाए. | यह भी निकल न जाए. | ||
− | |||
नही़ नहीं- मैं | नही़ नहीं- मैं | ||
− | |||
मैं लिखूँगी अपनी एक कविता | मैं लिखूँगी अपनी एक कविता | ||
+ | </poem> |
23:31, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
आज महिला दिवस पर
मन में बहुत कुछ चल रहा है,
क्या लिखूँ क्या न लिखूँ के बीच
समय बीत रहा है,
इसी बीतने में
हर दिवस हर त्यॊहार की तरह
यह भी निकल न जाए.
नही़ नहीं- मैं
मैं लिखूँगी अपनी एक कविता