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|रचनाकार=आरज़ू लखनवी
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साथ हर हिचकी के लब पर उनका नाम आया तो क्या?
मय से हूँ महरूप अब भी, जो शरीके-दौर हूँ।
पाए साक़ी से जो ठोकर खाके जाम आया तो क्या?
 
</poem>
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