"परिभाषित के दरबार में / आर. चेतनक्रांति" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आर. चेतनक्रांति |संग्रह=शोकनाच / आर. चेतनक्रांति }} सभी ...) |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=शोकनाच / आर. चेतनक्रांति | |संग्रह=शोकनाच / आर. चेतनक्रांति | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
सभी जाग्रत जीव | सभी जाग्रत जीव | ||
− | |||
जिनकी रगों के घोड़े | जिनकी रगों के घोड़े | ||
− | + | मांद पर बंधे ध्यानरत खाते होंगे सन्तुलित-पुष्ट घास | |
− | + | ||
विचार करेंगे | विचार करेंगे | ||
− | |||
उन सभी पशुओं की नियति पर | उन सभी पशुओं की नियति पर | ||
− | |||
जिनके खुर नहीं आते उनके वश में | जिनके खुर नहीं आते उनके वश में | ||
− | |||
वे ईश्वर को सलाह देंगे | वे ईश्वर को सलाह देंगे | ||
− | |||
कि ये बैल, ये भैंस, ये कुत्ता, ये बिल्ली | कि ये बैल, ये भैंस, ये कुत्ता, ये बिल्ली | ||
− | |||
ये चूहा, ये हिरन, ये लोमड़ी | ये चूहा, ये हिरन, ये लोमड़ी | ||
− | |||
ये सब दरअसल जंगल के जानवर हैं | ये सब दरअसल जंगल के जानवर हैं | ||
− | |||
कि इनके विकास के लिए कोई विज्ञान रचा जाए | कि इनके विकास के लिए कोई विज्ञान रचा जाए | ||
− | |||
वे सब– | वे सब– | ||
− | |||
परिस्थितियाँ और मनस्थितियाँ होंगी जिनकी चेरी | परिस्थितियाँ और मनस्थितियाँ होंगी जिनकी चेरी | ||
− | |||
जिन्होंने किए होंगे सारे कोर्स | जिन्होंने किए होंगे सारे कोर्स | ||
− | |||
और शानदार ढंग से पाई होगी शिक्षा | और शानदार ढंग से पाई होगी शिक्षा | ||
− | |||
:कि कैसे रखें काबू में कच्ची ऊर्जाओं को | :कि कैसे रखें काबू में कच्ची ऊर्जाओं को | ||
− | |||
::कि कैसे निबटें ठाँठे मारती इस पशु ताकत से | ::कि कैसे निबटें ठाँठे मारती इस पशु ताकत से | ||
− | |||
:::जो हुक्म देती भी नहीं, हुक्म लेती भी नहीं | :::जो हुक्म देती भी नहीं, हुक्म लेती भी नहीं | ||
− | |||
::::इसे उत्पादन में कैसे जोतें | ::::इसे उत्पादन में कैसे जोतें | ||
− | |||
वे सब एक दिन वहाँ बैठेंगे सिर जोड़कर | वे सब एक दिन वहाँ बैठेंगे सिर जोड़कर | ||
− | |||
और ईश्वर को सलाह देंगे | और ईश्वर को सलाह देंगे | ||
− | |||
कि थोड़ी छूट देकर देखें | कि थोड़ी छूट देकर देखें | ||
− | |||
कि विज्ञान यह भी कहता है | कि विज्ञान यह भी कहता है | ||
− | |||
:::कि थोड़ी आज़ादी दो तो जानवर आसान हो जाता है | :::कि थोड़ी आज़ादी दो तो जानवर आसान हो जाता है | ||
− | |||
एक दिन | एक दिन | ||
− | |||
जब समाज में रहने की शर्त | जब समाज में रहने की शर्त | ||
− | |||
सिर्फ हाजिरजवाबी कह दी जाएगी | सिर्फ हाजिरजवाबी कह दी जाएगी | ||
− | + | अख़बारों और टी.वी. के सारे नायक | |
− | अख़बारों और | + | |
− | + | ||
बादलों की तरह घिर आएंगे | बादलों की तरह घिर आएंगे | ||
− | |||
और चिड़ियाघर के सब जानवरों को | और चिड़ियाघर के सब जानवरों को | ||
− | |||
रेल की नंगी पटरी पर दौड़ाएंगे | रेल की नंगी पटरी पर दौड़ाएंगे | ||
− | |||
और असहमतों, हिजड़ों, समलैंगिकों और बिलों में रहनेवाले कीड़ों को | और असहमतों, हिजड़ों, समलैंगिकों और बिलों में रहनेवाले कीड़ों को | ||
− | |||
खींच-खींचकर बाहर निकालेंगे | खींच-खींचकर बाहर निकालेंगे | ||
− | |||
और आख़िरी बयान मांगेंगे | और आख़िरी बयान मांगेंगे | ||
− | |||
− | |||
::कहेंगे कि चुप नहीं रहना | ::कहेंगे कि चुप नहीं रहना | ||
− | |||
::कितनी भी झूठी हो, मगर भाषा में कहना | ::कितनी भी झूठी हो, मगर भाषा में कहना | ||
− | |||
::ऐसी कोई बात जिससे होड़ निखरे | ::ऐसी कोई बात जिससे होड़ निखरे | ||
− | |||
::जान आए मैदान में | ::जान आए मैदान में | ||
− | |||
::–अपनी सबसे प्रेरक ईर्ष्या के बारे में बताओ | ::–अपनी सबसे प्रेरक ईर्ष्या के बारे में बताओ | ||
− | |||
::–अपना सबसे हसीन चुटकुला सुनाओ | ::–अपना सबसे हसीन चुटकुला सुनाओ | ||
− | |||
हवा में घुला हुआ गैंडा | हवा में घुला हुआ गैंडा | ||
− | |||
एक दिन उतरेगा रेत पर | एक दिन उतरेगा रेत पर | ||
− | |||
और वोटरलिस्ट से नाम काटता जाएगा | और वोटरलिस्ट से नाम काटता जाएगा | ||
− | |||
पागलों के, भिखारियों के, और पुलों के नीचे रहनेवाले असंख्यकों के | पागलों के, भिखारियों के, और पुलों के नीचे रहनेवाले असंख्यकों के | ||
− | |||
और जाकर बताएगा ईश्वर को | और जाकर बताएगा ईश्वर को | ||
− | |||
कि सरकारें चुनने का हक भी हो उसी को | कि सरकारें चुनने का हक भी हो उसी को | ||
− | |||
जो बीचोंबीच रह सकता हो | जो बीचोंबीच रह सकता हो | ||
− | |||
न गुम हो जाता हो | न गुम हो जाता हो | ||
− | |||
अपनी ही नसों के जंगल में | अपनी ही नसों के जंगल में | ||
− | |||
न डूब जाता हो अपने ही ख़ून के ज्वार में | न डूब जाता हो अपने ही ख़ून के ज्वार में | ||
− | |||
एक दिन वे बैठेंगे वहाँ और दुनिया की सफाई पर विचार करेंगे। | एक दिन वे बैठेंगे वहाँ और दुनिया की सफाई पर विचार करेंगे। | ||
+ | </poem> |
00:33, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
सभी जाग्रत जीव
जिनकी रगों के घोड़े
मांद पर बंधे ध्यानरत खाते होंगे सन्तुलित-पुष्ट घास
विचार करेंगे
उन सभी पशुओं की नियति पर
जिनके खुर नहीं आते उनके वश में
वे ईश्वर को सलाह देंगे
कि ये बैल, ये भैंस, ये कुत्ता, ये बिल्ली
ये चूहा, ये हिरन, ये लोमड़ी
ये सब दरअसल जंगल के जानवर हैं
कि इनके विकास के लिए कोई विज्ञान रचा जाए
वे सब–
परिस्थितियाँ और मनस्थितियाँ होंगी जिनकी चेरी
जिन्होंने किए होंगे सारे कोर्स
और शानदार ढंग से पाई होगी शिक्षा
कि कैसे रखें काबू में कच्ची ऊर्जाओं को
कि कैसे निबटें ठाँठे मारती इस पशु ताकत से
जो हुक्म देती भी नहीं, हुक्म लेती भी नहीं
इसे उत्पादन में कैसे जोतें
वे सब एक दिन वहाँ बैठेंगे सिर जोड़कर
और ईश्वर को सलाह देंगे
कि थोड़ी छूट देकर देखें
कि विज्ञान यह भी कहता है
कि थोड़ी आज़ादी दो तो जानवर आसान हो जाता है
एक दिन
जब समाज में रहने की शर्त
सिर्फ हाजिरजवाबी कह दी जाएगी
अख़बारों और टी.वी. के सारे नायक
बादलों की तरह घिर आएंगे
और चिड़ियाघर के सब जानवरों को
रेल की नंगी पटरी पर दौड़ाएंगे
और असहमतों, हिजड़ों, समलैंगिकों और बिलों में रहनेवाले कीड़ों को
खींच-खींचकर बाहर निकालेंगे
और आख़िरी बयान मांगेंगे
कहेंगे कि चुप नहीं रहना
कितनी भी झूठी हो, मगर भाषा में कहना
ऐसी कोई बात जिससे होड़ निखरे
जान आए मैदान में
–अपनी सबसे प्रेरक ईर्ष्या के बारे में बताओ
–अपना सबसे हसीन चुटकुला सुनाओ
हवा में घुला हुआ गैंडा
एक दिन उतरेगा रेत पर
और वोटरलिस्ट से नाम काटता जाएगा
पागलों के, भिखारियों के, और पुलों के नीचे रहनेवाले असंख्यकों के
और जाकर बताएगा ईश्वर को
कि सरकारें चुनने का हक भी हो उसी को
जो बीचोंबीच रह सकता हो
न गुम हो जाता हो
अपनी ही नसों के जंगल में
न डूब जाता हो अपने ही ख़ून के ज्वार में
एक दिन वे बैठेंगे वहाँ और दुनिया की सफाई पर विचार करेंगे।