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"हो गई है पीर पर्वत / दुष्यंत कुमार" के अवतरणों में अंतर
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आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी | आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी | ||
− | शर्त थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए | + | शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए |
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में | हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में | ||
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सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं | सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं | ||
− | मेरी | + | मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए |
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही | मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही | ||
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए | हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए | ||
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17:37, 14 नवम्बर 2009 का अवतरण
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए