Changes

और मैं / जया जादवानी

3 bytes added, 21:29, 18 नवम्बर 2009
और मैं ऋतु पूरी गुज़ार आई
शाखें हुईं नंगी पाले मारे मौसम में
कर्ज कर्ज़ था आत्मा पर, देह उतार आई।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,345
edits