भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आशा / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर" |संग्रह=नये सुभाषित / रामधा…) |
|||
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
::(२) | ::(२) | ||
− | + | मर गया होता कभी का | |
+ | ::आपदाओं की कठिनतम मार से, | ||
+ | यदि नहीं आशा श्रवण में | ||
+ | ::नित्य यह संदेश देती प्यार से-- | ||
+ | ::"घूँट यह पी लो कि संकट जा रहा है। | ||
+ | ::आज से अच्छा दिवस कल आ रहा है"। | ||
</poem> | </poem> |
13:40, 21 नवम्बर 2009 का अवतरण
(१)
सारी आशाएँ न पूर्ण यदि होती हों,
तब भी अंचल छोड़ नहीं आशाओं के।
(२)
मर गया होता कभी का
आपदाओं की कठिनतम मार से,
यदि नहीं आशा श्रवण में
नित्य यह संदेश देती प्यार से--
"घूँट यह पी लो कि संकट जा रहा है।
आज से अच्छा दिवस कल आ रहा है"।