गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
आग की भीख / रामधारी सिंह "दिनकर"
No change in size
,
18:33, 21 नवम्बर 2009
कुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँ-सा।
कोई मुझे बता दे, क्या आज हो रहा है;
मुँह को छिपा तिमिर में क्यों तेज
सो
रो
रहा है?
दाता, पुकार मेरी, संदीप्ति को जिला दे,
बुझती हुई शिखा को संजीवनी पिला दे।
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits