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शहतूत की पत्ती पर
 
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रेशम के कीड़े हैं,
 
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भारत के स्विट्ज़रलैंड में
 
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बकरी हैं, भेड़ें हैं,
 
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गूजर हैं, बकरवाल हैं,
 
गूजर हैं, बकरवाल हैं,
 
 
पंडित हैं, शेख हैं,
 
पंडित हैं, शेख हैं,
 
 
सेव और बादाम हैं,
 
सेव और बादाम हैं,
 
 
पश्मीना है और केसर भी.
 
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चश्मों  का जल आज भी
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पहले सा ठंडा और मीठा है.
 
पहले सा ठंडा और मीठा है.
  
 
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पर एक चीज़ है
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जो सिरे से गायब है -
 
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एक उन्मुक्त संगीत
 
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जो दम तोड़ रहा है
 
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`पाकिस्तान ज़िन्दाबाद` के
`पाकिस्तान जि़ंदाबाद` के
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20:03, 24 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

शहतूत की पत्ती पर
रेशम के कीड़े हैं,
भारत के स्विट्ज़रलैंड में
बकरी हैं, भेड़ें हैं,
गूजर हैं, बकरवाल हैं,
पंडित हैं, शेख हैं,
सेव और बादाम हैं,
पश्मीना है और केसर भी.
चश्मों का जल आज भी
पहले सा ठंडा और मीठा है.

पर एक चीज़ है
जो सिरे से गायब है -
एक उन्मुक्त संगीत
जो दम तोड़ रहा है
`पाकिस्तान ज़िन्दाबाद` के
बोझ तले !