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आ कि मेरी जां को क़रार नहीं है / ग़ालिब
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13:46, 22 दिसम्बर 2006
आ कि मेरी जान को क़रार नहीं है <br>
ताक़त
ताक़ते
-
ए-बेदाद-ए
बेदादे
-इन्तज़ार नहीं है<br><br>
देते हैं जन्नत हयात-ए-दहर के बदले <br>
Anonymous user
घनश्याम चन्द्र गुप्त