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"दिल्लियाँ / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर

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हाथी की नंगी पीठ पर  
 
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घुमाया गया दाराशिकोह को गली-गली
 
घुमाया गया दाराशिकोह को गली-गली
 
 
और दिल्ली चुप रही
 
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लोहू की नदी में खड़ा
 
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मुस्कुराता रहा नादिर शाह
 
मुस्कुराता रहा नादिर शाह
 
 
और दिल्ली चुप रही
 
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लाल किले के सामने  
 
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बन्दा बैरागी के मुँह में डाला गया
 
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ताज़ा लहू से लबरेज़ अपने बेटे का कलेजा
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और दिल्ली चुप रही
 
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गिरफ्तार कर लिया गया
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बहादुरशाह जफ़र को
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और दिल्ली चुप रही
 
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दफ़ा हो गए मीर गालिब
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और दिल्ली चुप रही
 
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दिल्लियाँ  
 
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चुप रहने के लिए ही होती हैं हमेशा
 
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उनके एकान्त में
 
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कहीं कोई नहीं होता
 
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कुछ भी नहीं होता कभी भी शायद
 
कुछ भी नहीं होता कभी भी शायद
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19:54, 20 दिसम्बर 2009 का अवतरण

हाथी की नंगी पीठ पर
घुमाया गया दाराशिकोह को गली-गली
और दिल्ली चुप रही

लोहू की नदी में खड़ा
मुस्कुराता रहा नादिर शाह
और दिल्ली चुप रही
लाल किले के सामने
बन्दा बैरागी के मुँह में डाला गया
ताज़ा लहू से लबरेज़ अपने बेटे का कलेजा
और दिल्ली चुप रही


गिरफ़्तार कर लिया गया
बहादुरशाह जफ़र को
और दिल्ली चुप रही
दफ़ा हो गए मीर गालिब
और दिल्ली चुप रही

दिल्लियाँ
चुप रहने के लिए ही होती हैं हमेशा
उनके एकान्त में
कहीं कोई नहीं होता
कुछ भी नहीं होता कभी भी शायद