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मेरा संबल / हरिवंशराय बच्चन

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|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
|संग्रह=जाल समेटा / हरिवंशराय बच्चन
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<poem>
मैं जीवन की हर हल चल में
कुछ पल सुखमय,अमरण अक्षय,
चुन लेता हूँ।
मैं जग के हर कोलाहल में
कुछ स्वर मधुमय,उन्मुक्त अभय,
सुन लेता हूँ।
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