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"बोलनि ही औरैं कछू / नागरीदास" के अवतरणों में अंतर

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बोलनि ही औरैं कछू, रसिक सभा की मानि।
 
मतिवारे समझै नहीं, मतवारे लैं जानि।
 
मतिवारे समझै नहीं, मतवारे लैं जानि।
  

15:52, 24 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

बोलनि ही औरैं कछू, रसिक सभा की मानि।
मतिवारे समझै नहीं, मतवारे लैं जानि।

मतवारे लैं जानि आन कौं वस्तु न सूझै।
ज्यौ गूंगे को सैन कोउ गूंगो ही बूझै॥

भीजि रहे गुरु कृपा, बचन रस गागरि ढोलनि।
तनक सुनत गरि जात सयानप अलबल बोलनि॥