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संगिनी / रंजना भाटिया

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संगिनी /रंजना भाटिया का नाम बदलकर संगिनी / रंजना भाटिया कर दिया गया है
<poem>
यूं यूँ जब अपनी पलके पलकें उठा के
तुम देखती हो मेरी तरफ़
मैं जानता हूँ
कि तुम्हारी आँखेआँखेंपढ़ रही होती हैहैं
मेरे उस अंतर्मन को
जो मेरा ही अनदेखा
पूर्ण करती हो मेरे अस्तित्व को
छाई सरदी सर्दी की पहली धूप की तरह
भर देती हो मेरे सूनेपन को
अपने साये से फैले वट वृक्ष की तरह
एक आकर्षण....
एक माँ ,एक प्रेमिका
और संग -संग जीने की लय
मैं जानता हूँ कि
प्रकति का सुंदर खेल
तेरे हर अक्स में रचा बसा है !!
<poem>
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