|रचनाकार=महावीर शर्मा
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अतीत
याद किसी की गीत बन गई!
कितना अलबेला सा लगता था, मुझे तुम्हारा हर सपना,
अब न शलभ की पुलक प्रतीक्षा और न जलने की अभिलाषा
सांसों के बोझिल बंधन में बंधी अधूरी सी परिभाषा
लेकिन यह तारों की तङपन धङकन तड़पन धड़कन की चिर प्रीत बन गई।
याद किसी की गीत बन गई!
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