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"क्या तुमने भी सुना / मोहन राणा" के अवतरणों में अंतर
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चलती रही सारी रात | चलती रही सारी रात | ||
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तुम्हारी बेचैनी लिज़बन की गीली सड़कों पर | तुम्हारी बेचैनी लिज़बन की गीली सड़कों पर | ||
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रिमझिम के साथ | रिमझिम के साथ | ||
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मूक कराह कि | मूक कराह कि | ||
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जिसे सुन जाग उठा बहुत सबेरे, | जिसे सुन जाग उठा बहुत सबेरे, | ||
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कोई चिड़िया बोलती झुटपुटे में | कोई चिड़िया बोलती झुटपुटे में | ||
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जैसे वह भी जाग पड़ी कुछ सुनकर | जैसे वह भी जाग पड़ी कुछ सुनकर | ||
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सोई नहीं सारी रात कुछ देखकर बंद आँखों से ! | सोई नहीं सारी रात कुछ देखकर बंद आँखों से ! | ||
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चलती रही तुम्हारी बेचैनी | चलती रही तुम्हारी बेचैनी | ||
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मेरे भीतर | मेरे भीतर | ||
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टूटती आवाज़ समुंदर के सीत्कार में | टूटती आवाज़ समुंदर के सीत्कार में | ||
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उमड़ती लहरों के बीच, | उमड़ती लहरों के बीच, | ||
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चादर के तहों में करवट बदलते | चादर के तहों में करवट बदलते | ||
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क्या तुमने भी सुना उस चिड़िया को | क्या तुमने भी सुना उस चिड़िया को | ||
− | + | '''रचनाकाल: 6.4.2002 सज़िम्ब्रा, पुर्तगाल | |
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17:28, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
चलती रही सारी रात
तुम्हारी बेचैनी लिज़बन की गीली सड़कों पर
रिमझिम के साथ
मूक कराह कि
जिसे सुन जाग उठा बहुत सबेरे,
कोई चिड़िया बोलती झुटपुटे में
जैसे वह भी जाग पड़ी कुछ सुनकर
सोई नहीं सारी रात कुछ देखकर बंद आँखों से !
चलती रही तुम्हारी बेचैनी
मेरे भीतर
टूटती आवाज़ समुंदर के सीत्कार में
उमड़ती लहरों के बीच,
चादर के तहों में करवट बदलते
क्या तुमने भी सुना उस चिड़िया को
रचनाकाल: 6.4.2002 सज़िम्ब्रा, पुर्तगाल