{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रमा द्विवेदी}}{{KKCatKavita}}<poem>‘क्लोन’ बेबी “ईव” जबसे आया है,<br>सारी दुनिया में तहलका मचाया है।<br>उपलब्धि अच्छी है अगर सही इस्तेमाल हो,<br>परन्तु मानव के गुण-रूप पर प्रश्न चिह्न लगाया है।<br><br> इस भागम-भाग की ज़िन्दगी में,<br>मानव का एक शरीर कम पड़ता है,<br>अत: वो अपने “क्लोन” तैयार करायेगा,<br>और फिर अपना हमशक्ल तैयार करायेगा।<br><br> फिर न कोई असली होगा,<br>और न कोई नकली होगा,<br>क्योंकि वो असली का ही,<br>हूबहू हमशक्ल होगा।<br><br> “क्लोन” के कई फायदे हैं,<br>किन्तु उसके कुछ कायदे हैं,<br>जिसका “क्लोने” पैदा होगा,<br>असली का मूल्य कम होगा।<br><br> कभी वो असली,कभी लगेगा नकली,<br>उसे देखकर खुद को भूल बैठोगे आप,<br>और खुद को देखकर कह उठोगे,<br>कहीं मैं नकली तो नहीं?<br>काश! इन्दिरा गांधी का “क्लोन” होता,<br>गांधी,शास्त्री और नेहरू का “क्लोन” होता,<br>तब आज की राजनीति कुछ और होती?<br>कम से कम देश की ऐसी दुर्दशा तो न होती।<br><br> “क्लोन” का एक और फायदा है,<br>अब कोई स्त्री विधवा न होगी,<br>क्योंकि पति का हमशक्ल तो रहेगा ही,<br>और वो असली का काम करेगा,<br>सोचो कितनी सुन्दर होगी यह दुनिया?<br>हर शख्स की कमी ‘क्लोन’ से भर लेगी यह दुनिया,<br>जीवन-मरण का बंधन ही टूट जायेगा,<br>क्योंकि मोक्ष का विभाग ही खत्म हो जायेगा।,<br><br> “क्लोन से कई खतरे हैं,<br>जैसे गलती करेगा “क्लोन”<br>लेकिन पीटे आप जाओगे,<br>क्या तब भी आप अपना “क्लोन” बनवाओगे??? <br><br/poem>