|रचनाकार=लुई आरागों
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'''एल्सा की आँखें'''
इन तेरी गहरी आँखों में मैं प्यास बुझाने आया हूँ
इनमें आए हैं निखिल सूर्य झिलमिल करने
व्यर्थ ही रोम में बह-बह कर नीलिमा पवन करता उजली
इससे तो निर्मल आँखें जिनसे अश्रु झरें
वर्षा से धुले गगन को भी ईर्ष्यालू ईर्ष्यालु करें
काँच की कोर नीलाभ नहीं जितनी तेरी नीली पुतली
एल्सा की आँखें, एल्सा की आँखें, ये आँखे एल्सा की।
'''मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी
'''इस कविता के अनुवाद में कवि रघुवीर सहाय ने बड़ी सहायता की।
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(मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी)
'इस कविता के अनुवाद में रघुवीर सहाय ने भी मदद दी है'