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सह पलायन / आरागों

415 bytes added, 10:50, 27 दिसम्बर 2009
|रचनाकार=लुई आरागों
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<poem>
एक खुशी फूटती है
वीणा में नपे तीन समय में
एक खुशी फूटती है जंगल में
जिसे मैं कहना जानता नहीं
सिर मोड़ो, हँसी मोड़ो
किसके प्यार के लिए
कैसे प्यार के लिए
'''सब पलायन''' मेरे प्यार के लिए
'''मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी
</poem>
 
 
 
(मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी)
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