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"खज़ाने में तुम्हारे / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'" के अवतरणों में अंतर
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छो (खज़ाने में तुम्हारे/ ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग' का नाम बदलकर खज़ाने में तुम्हारे / ओमप्रकाश चतुर्व) |
(कोई अंतर नहीं)
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11:43, 29 दिसम्बर 2009 का अवतरण
खज़ाने में तुम्हारे लाखों गम हैं
मगर लगता है हमको फिर भी कम हैं
हमें आता है बचकर भी निकलना
बला से रास्ते में पेचोखम़ हैं
नहीं कोई हमारे साथ, तो क्या
हमारा हौसला है और हम हैं
समझते जो हमें कमजोर उनको
बता दो ये महज़ उनके वहम हैं
न बदलेंगे ज़माने के चलन से
हमारे भी पराग अपने नियम हैं