भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ब्लैकमेलर-8 / वेणु गोपाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वेणु गोपाल |संग्रह=चट्टानों का जलगीत / वेणु गोप...) |
छो (ब्लैकमेलर-8/ वेणु गोपाल का नाम बदलकर ब्लैकमेलर-8 / वेणु गोपाल कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:08, 29 दिसम्बर 2009 का अवतरण
वह
रात था। अंधेरा था। सलाखें था। पैरों
की गूँजती आवाज़ था। जब मैं
जेल में था। वह
मेरे साथ था। चारों ओर था। बल्लु
और मेरे बीच था।
--'कहिए, क्या हालचाल है> आजकल
कविताएँ क्यों नहीं लिखते?
और जब लिखने को होता तो कहता-- 'यहाँ भी!
बल्लु से बात क्यों नहीं करते? वह
मामूली चोर-क़ैदी है-- इसलिए।'
एक दिन तो हद्द हो गई। बल्लु बोला
--'तुमने ऎसा क्या किया-- क्या लुखा पंतलु-- जो
यहाँ आया?' मैं घबरा गया।
मैंने देखा। मैंने पाया कि वह बल्लु का
चेहरा बन चुका है।