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|संग्रह=आहत युग / महेन्द्र भटनागर
}}
जिस दिन {{KKCatKavita}}<brpoem>जिस दिन मानव-मानव से प्यार करेगा, <br> हर भेद-भाव से <br> ऊपर उठ कर, <br> भूल <br> अपरिचित-परिचित का अन्तर <br> सबका स्वागत-सत्कार करेगा, <br> पूरा होगा <br> उस दिन सपना ! <br> विश्व लगेगा <br>
उस दिन अपना !
</poem>
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