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"निवेदन / संतरण / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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− | फूल जो मुरझा रहे | + | {{KKCatKavita}} |
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− | :अधखिले | + | फूल जो मुरझा रहे |
− | कारण उसी का खोजता हूँ ! | + | जग-वल्लरी पर |
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− | हे प्राण ! | + | हे प्राण! |
− | मुझको माफ़ करना | + | मुझको माफ़ करना |
− | यदि तुम्हारे गीत कुछ दिन | + | यदि तुम्हारे गीत कुछ दिन |
− | मैं न गाऊँ ! | + | मैं न गाऊँ! |
− | स्वर्ण आभा-सा | + | स्वर्ण आभा-सा |
− | सुवासित तन तुम्हारा देख | + | सुवासित तन तुम्हारा देख |
− | अनदेखा करूँ, | + | अनदेखा करूँ, |
− | छवि पर न मोहित हो | + | छवि पर न मोहित हो |
− | तनिक भी मुसकराऊँ ! | + | तनिक भी मुसकराऊँ! |
− | फूल जब मुरझा रहे | + | फूल जब मुरझा रहे |
− | वसुधा बनी विधवा | + | वसुधा बनी विधवा |
− | सुमुखि ! | + | सुमुखि! |
− | फिर अर्थ क्या शृंगार का, | + | फिर अर्थ क्या शृंगार का, |
− | पग-नूपुरों की गूँजती झंकार का ? | + | पग-नूपुरों की गूँजती झंकार का? |
− | हर फूल खिलने दो ज़रा, | + | हर फूल खिलने दो ज़रा, |
− | डालियों पर प्यार हिलने दो ज़रा !< | + | डालियों पर प्यार हिलने दो ज़रा! |
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14:49, 30 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
फूल जो मुरझा रहे
जग-वल्लरी पर
अधखिले
कारण उसी का खोजता हूँ!
हे प्राण!
मुझको माफ़ करना
यदि तुम्हारे गीत कुछ दिन
मैं न गाऊँ!
स्वर्ण आभा-सा
सुवासित तन तुम्हारा देख
अनदेखा करूँ,
छवि पर न मोहित हो
तनिक भी मुसकराऊँ!
फूल जब मुरझा रहे
वसुधा बनी विधवा
सुमुखि!
फिर अर्थ क्या शृंगार का,
पग-नूपुरों की गूँजती झंकार का?
हर फूल खिलने दो ज़रा,
डालियों पर प्यार हिलने दो ज़रा!