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"बदन सराय / मुनव्वर राना" के अवतरणों में अंतर
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+ | * [[ये देख कर पतंगें भी हैरान हो गईं / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[वो नम आँखें लबों से यूँ कहानी छीन लेती हैं / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[आप रहबर हैं मगर आप नहीं जानते हैं / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[कभी जूड़े में सजता हूँ कभी पामाल होता हूँ / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[सख़ी है वो मगर उसको नहीं करने की आदत है / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[जब आँखें ख़ुद हो मशकीज़ा तो फिर तारों से क्या होगा / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[मियाँ मैं शेर हूँ शेरों की गुर्राहट नहीं जाती / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[जिसे दुश्मन समझता हूँ वही अपना निकलता है / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[सियासी गुफ़्तगू मत कीजिए अच्छा नहीं लगता / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[अजब दुनिया है नाशायर यहाँ पर सर उठाते हैं / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[हमारी दोस्ती से दुश्मनी शरमाई रहती है / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[मुहब्बत करने वाला ज़िंदगी भर कुछ नहीं कहता / मुनव्वर राना]] |
16:07, 31 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
बदन सराय
रचनाकार | मुनव्वर राना |
---|---|
प्रकाशक | वाणी प्रकाशन,
21- ए , दरिया गंज नई दिल्ली 110002 |
वर्ष | 2008 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 96 |
ISBN | 978-81-8143-977-2 |
विविध |
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- तुम्हारे पास ही रहते न छोड़ कर जाते / मुनव्वर राना
- सरक़े का कोई शेर ग़ज़ल में नहीं रक्खा / मुनव्वर राना
- कभी थकन के असर का पता नहीं रहता / मुनव्वर राना
- जुर्रत से हर नतीजे की परवा किये बग़ैर / मुनव्वर राना
- बन्द कर खेल तमाशा हमें नींद आतीं है / मुनव्वर राना
- उनसे मिलिए जो यहाँ फेर बदल वाले है / मुनव्वर राना
- रोने में इक खतरा है तालाब नदी हो जाते है / मुनव्वर राना
- ख़ून रुलवाएगी ये जंगल परस्ती एक दिन / मुनव्वर राना
- हाँ इजाज़त है अगर कोई कहानी और है / मुनव्वर राना
- इन्सान थे कभी मगर अब ख़ाक हो गए / मुनव्वर राना
- मै जिसके वास्ते जलता रहा दीए की तरह / मुनव्वर राना
- हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते है / मुनव्वर राना
- हर एक लम्हा हमारी फ़िक्र पैग़म्बर को रहती है / मुनव्वर राना
- अब मदरसे भी है तेरे शर से डरे हुए / मुनव्वर राना
- नदी का शोर नहीं ये आबशार का है / मुनव्वर राना
- तेरे लिए मै शहर से रुसवा बहुत हुआ / मुनव्वर राना
- हर एक पल तेरी चाहत का ऐतबार रहे / मुनव्वर राना
- दिल पहले कहाँ इस तरह ग़मगीन रहा है / मुनव्वर राना
- मुट्ठी भर ये ख़ाक बहुत है / मुनव्वर राना
- ये देख कर पतंगें भी हैरान हो गईं / मुनव्वर राना
- वो नम आँखें लबों से यूँ कहानी छीन लेती हैं / मुनव्वर राना
- आप रहबर हैं मगर आप नहीं जानते हैं / मुनव्वर राना
- कभी जूड़े में सजता हूँ कभी पामाल होता हूँ / मुनव्वर राना
- सख़ी है वो मगर उसको नहीं करने की आदत है / मुनव्वर राना
- जब आँखें ख़ुद हो मशकीज़ा तो फिर तारों से क्या होगा / मुनव्वर राना
- मियाँ मैं शेर हूँ शेरों की गुर्राहट नहीं जाती / मुनव्वर राना
- जिसे दुश्मन समझता हूँ वही अपना निकलता है / मुनव्वर राना
- सियासी गुफ़्तगू मत कीजिए अच्छा नहीं लगता / मुनव्वर राना
- अजब दुनिया है नाशायर यहाँ पर सर उठाते हैं / मुनव्वर राना
- हमारी दोस्ती से दुश्मनी शरमाई रहती है / मुनव्वर राना
- मुहब्बत करने वाला ज़िंदगी भर कुछ नहीं कहता / मुनव्वर राना