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"युगान्तर / राग-संवेदन / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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अब तोधरती अपनी,
अपना आकाश है!
सूर्य उगा
लो
फैला सर्वत्र
प्रकाश है!
स्वधीन रहेंगे
सदा-सदा
पूरा विश्वास है!
मानव-विकास का चक्र
न पीछे मुड़ता
साक्षी इतिहास है!
यह
प्रयोग-सिद्ध
तत्व-ज्ञान
हमारे पास है!