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"हवा / राग-संवेदन / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर

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ओ प्रिय<br>
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ओ, सर-सर स्वर भरती<br>
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मधुरभाषिणी<br>
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ओ, सर-सर स्वर भरती  
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मुखर हवा!
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आजीवन  
 
अनुबन्धित हो जाओ!
 
अनुबन्धित हो जाओ!
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15:17, 1 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

ओ प्रिय
सुख-गंध भरी
मदमत्ता हवा!
मेरी ओर बहो _
हलके-हलके!
बरसाओ
मेरे
तन पर, मन पर
शीतल छींटें जल के!
ओ प्यारी
लहर-लहर लहराती
उन्मत्ता हवा!
नि:संकोच करो
बढ़ कर उष्ण स्पर्श
मेरे तन का!
ओ, सर-सर स्वर भरती
मधुरभाषिणी
मुखर हवा!
चुपके-चुपके
मेरे कानों में
अब तक अनबोला
कोई राज़ कहो
मन का!
आओ!
मुझ पर छाओ!
खोल लाज-बंध
आज
आवेष्टित हो जाओ,
आजीवन
अनुबन्धित हो जाओ!